लेखनी कविता -तलाश - कैफ़ी आज़मी

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तलाश / कैफ़ी आज़मी ये बुझी सी शाम ये सहमी हुई परछाइयाँ ख़ून-ए-दिल भी इस फ़ज़ा में रंग भर सकता नहीं आ उतर आ काँपते होंटों पे ऐ मायूस आह सक़्फ़-ए-ज़िन्दाँ ...

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